सोशल मीडिया का महत्व और फायदे
प्रस्तावना
सोशल मीडिया के बारे में इन दिनों बहुत बाते हो
रही है। सोशल मीडिया अच्छा है या बुरा इस तथ्य के बारे में भी बहुत बहस चल रही है।
हमारे लिए कई विचार उपलब्ध हैं और यह हमारे ऊपर है कि हम इसे सही तरीके से पढ़े, समझे और निष्कर्ष तक पहुंचे।
सोशल मीडिया का महत्व
सोशल मीडिया प्लेटफार्म अपने उपयोगकर्ताओं
तथा लाखों अन्य लोगों को जानकारी साझा करने में मदद करता है। सोशल मीडिया के महत्व
को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि यह आज हमारे जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण
भूमिका निभा रहा है।
1. ब्रांड बनाना: गुणवत्ता
सामग्री, उत्पाद और सेवाएं आज
ऑनलाइन आसानी से पहुंचने में सक्षम हैं। आप अपने उत्पाद को ऑनलाइन बाजार में बेच
सकते हैं और एक ब्रांड बना सकते हैं।
2. ग्राहक के लिए सहायक: खरीद
और उत्पाद या सेवा से पहले ग्राहक समीक्षा और प्रतिक्रिया पढ़ सकते हैं और स्मार्ट
विकल्प बना सकते हैं।
3. सोशल मीडिया एक महान
शिक्षा उपकरण है।
4. सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म
के माध्यम से आप अपने इच्छित दर्शकों से जुड़ सकते हैं।
5. गुणवत्ता की जानकारी तक
पहुंचने का यह एक शानदार तरीका है।
6. सोशल मीडिया आपको केवल एक
क्लिक में समाचार और सभी घटनाएं प्राप्त करने में मदद करता है।
7. सोशल मीडिया आपको मित्रों, रिश्तेदारों से जुड़ने में तथा नए दोस्त बनाने में भी मदद करता है।
सोशल मीडिया के फायदे:
सोशल मीडिया वास्तव में कई
फायदे पहुंचाता है, हम सोशल मीडिया का उपयोग
समाज के विकास के लिए भी कर सकते है। हमने पिछले कुछ वर्षों में सूचना और सामग्री
का विस्फोट देखा है और हम सोशल मीडिया के ताकत से इंकार नहीं कर सकते है। समाज में
महत्वपूर्ण कारणों तथा जागरूकता पैदा करने के लिए सोशल मीडिया का व्यापक रूप से
उपयोग किया जा सकता है। सोशल मीडिया एनजीओ और अन्य सामाजिक कल्याण समितियों द्वारा
चलाए जा रहे कई महान कार्यों में भी मदद कर सकता है। सोशल मीडिया जागरूकता फैलाने
और अपराध से लड़ने में अन्य एजेंसियों तथा सरकार की मदद कर सकता है। कई व्यवसायों
में सोशल मीडिया का उपयोग प्रचार और बिक्री के लिए एक मजबूत उपकरण के रुप में किया
जा सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से कई समुदाय बनाये जाते है जो
हमारे समाज के विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
सोशल मीडिया के नुकसान:
सोशल मीडिया को आजकल हमारे
जीवन में होने वाले सबसे हानिकारक प्रभावो में से एक माना जाने लगा है, और इसका गलत उपयोग करने से बुरा परिणाम सामने आ सकता है। सोशल
मीडिया के कई नुकसान और भी हैं जैसे:
1. साइबर बुलिंग: कई बच्चे
साइबर बुलिंग के शिकार बने हैं जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान हुआ है।
2. हैकिंग: व्यक्तिगत डेटा का
नुकसान जो सुरक्षा समस्याओं का कारण बन सकता है तथा आइडेंटिटी और बैंक विवरण चोरी
जैसे अपराध, जो किसी भी व्यक्ति को
नुकसान पहुंचा सकते हैं।
3. बुरी आदते: सोशल मीडिया का
लंबे समय तक उपयोग, युवाओं में इसके लत का
कारण बन सकता है। बुरी आदतो के कारण महत्वपूर्ण चीजों जैसे अध्ययन आदि में ध्यान
खोना हो सकता है। लोग इससे प्रभावित हो जाते हैं तथा समाज से अलग हो जाते हैं और
अपने निजी जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं।
4. घोटाले: कई शिकारी, कमजोर उपयोगकर्ताओं की तलाश में रहते हैं ताकि वे घोटाले कर और
उनसे लाभ कमा सके।
5. रिश्ते में धोखाधड़ी:
हनीट्रैप्स और अश्लील एमएमएस सबसे ज्यादा ऑनलाइन धोखाधड़ी का कारण हैं। लोगो को इस
तरह के झूठे प्रेम-प्रंसगो में फंसाकर धोखा दिया जाता है।
6. स्वास्थ्य समस्याएं: सोशल
मीडिया का अत्यधिक उपयोग आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर
प्रभावित कर सकता है। अक्सर लोग इसके अत्यधिक उपयोग के बाद आलसी, वसा, आंखों में जलन और खुजली, दृष्टि के नुकसान और तनाव आदि का अनुभव करते हैं।
7.
सामाजिक और पारिवारिक जीवन का नुकसान: सोशल
मीडिया के अत्यधिक उपयोग के कारण लोग
परिवार तथा समाज से दुर, फोन जैसे उपकरणों में व्यस्थ
हो जाते है।
निष्कर्ष:
दुनिया भर में
लाखों लोग है जो कि सोशल मीडिया का उपयोग प्रतिदिन
करते हैं। इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलूओं का एक मिश्रित उल्लेख दिया गया है।
इसमें बहुत सारी ऐसी चीजे है जो हमे सहायता प्रदान करने में महत्वपुर्ण है, तो कुछ ऐसी चीजे भी है जो हमें नुकसान पहुंचा सकती है।
प्र. सोशल मीडिया :शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग :-
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यह स्मार्ट फोन और माइक्रो ब्लॉगिंग उपयोग
करने का उम्र है। जो कुछ भी हमें जानना होता है उसे बस हम एक क्लिक करके उसके बारे
में जानकारी प्राप्त कर सकते है। सोशल मीडिया आज सभी उम्र समूहों द्वारा सबसे
व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला टूल है, लेकिन युवाओं और छात्रों
के बीच ये अधिक लोकप्रिय है। इसे ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं का मानना है कि
सोशल मीडिया शिक्षा के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
अकादमिक विचारकों के एक बड़े
समुह का यह मानना है, कि सोशल मीडिया छात्रों को
बिगाड़ने वाले कारक के रुप में कार्य करता है लेकिन अगर बुद्धिमानी से इसका उपयोग
किया जाये तो यह बेहद प्रभावी हो सकती है। सोशल मीडिया को अच्छा या बुरा कहने के
बजाय, हमें अपने लाभ के लिए इसका
उपयोग करने के तरीके को खोजना चाहिए। यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि शिक्षा में
हमारे लाभ के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कैसे किया जा सकता है। आइए कोशिश करें और
इसका उत्तर दें।
शिक्षा में सोशल मीडिया का
महत्व
आज फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन इत्यादि जैसे
प्लेटफार्मों का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। शिक्षकों, प्रोफेसरों और छात्रों के बीच ये काफी लोकप्रिय हो गया हैं। एक
छात्र के लिए सोशल मीडिया बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह उनके
लिए जानकारी को साझा करने, जवाब प्राप्त करने और
शिक्षकों से जुड़ने में सहायता करता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से
छात्र और शिक्षक एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं और इस प्लेटफॉर्म का अच्छा उपयोग करके
जानकारी साझा कर सकते हैं।
सोशल मीडिया के निम्नलिखित
महत्व हैं-
- व्याख्यानो का
सीधा प्रसारण: आजकल कई प्रोफेसर अपने व्याख्यान के
लिए स्काइप, ट्विटर और अन्य स्थानों पर लाइव वीडियो चैट आयोजित कर रहे
हैं। यह छात्रों के साथ-साथ शिक्षक को भी घर बैठे किसी चीज को सीखने और साझा
करने में सहायता करता है। सोशल मीडिया की मदद से शिक्षा को आसान और सुविधाजनक
बनाया जा सकता है।
- सहयोग का बढ़ता
आदान-प्रदान: चूंकि हम दिन के किसी भी समय सोशल
मीडिया का उपयोग कर सकते है और कक्षा के बाद शिक्षक से प्रश्नों का समर्थन और
समाधान ले सकते हैं। यह अभ्यास शिक्षक को अपने छात्रों के विकास के और अधिक बारीकी
को समझने में भी मदद करता है।
- शिक्षा कार्यो में
आसानी: कई शिक्षक महसूस करते हैं कि सोशल
मीडिया का उपयोग उनके कामों को आसान बनाता है। यह शिक्षक को अपनी क्षमताओं
कौशल और ज्ञान का विस्तार और पता लगाने में भी सहायता करता है।
- अधिक अनुशासान: सोशल
मीडिया प्लेटफार्म पर आयोजित कक्षाएं अधिक अनुशासित और संरचित होती हैं
क्योंकि वे जानते हैं कि हर कोई इसे देख रहा होता है।
- शिक्षा में
मददगार: सोशल मीडिया छात्रों को ऑनलाइन
उपलब्ध कराई गयी कई शिक्षण सामाग्री के माध्यम से उनके ज्ञान को बढ़ाने में
मदद करता है। सोशल मीडिया के माध्यम से छात्र वीडियो और चित्र देख सकते हैं, समीक्षाओं
की जांच कर सकते हैं और लाइव प्रक्रियाओं को देखते हुए तत्काल अपने संदेह को
दूर कर सकते हैं। न केवल छात्र, बल्कि शिक्षक भी
इन उपकरणों और शिक्षण सहायता का उपयोग करके अपने व्याख्यान को और अधिक रोचक बना
सकते हैं।
- शिक्षण ब्लॉग और
लेखन: छात्र प्रसिद्ध शिक्षकों, प्रोफेसरों
और विचारकों द्वारा ब्लॉग, आर्टिकल और लेखन पढ़कर अपना ज्ञान
बढ़ा सकते हैं। इस तरह अच्छी सामग्री व्यापक दर्शकों तक पहुंच सकती है।
निष्कर्ष:
इस बात से अस्वीकार नहीं किया जा सकता
है कि यदि बुद्धिमानी से सोशल मीडिया का उपयोग किया जाये तो यह शिक्षा को बेहतर और
छात्रों को होशियार बना सकता है।
प्र .सोशल मीडिया बदलता
भारतीय परिवेश (बाल ,युवाओं,महिलाओं और वृद्धों के संदर्भ में )
प्रस्तावना
हम इस सच्चाई को अनदेखा नहीं कर सकते
कि सोशल मीडिया आज हमारे जीवन में मौजूद सबसे बड़े तत्वों में से एक है। इसके
माध्यम से हम किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते
हैं तथा दुनिया के किसी भी कोने में बसे अपने प्रियजनो से बात कर सकते हैं। सोशल
मीडिया एक आकर्षक तत्व है और आज ये हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। युवा हमारे देश का
भविष्य है, वे देश की अर्थव्यवस्था को
बना या बिगाड़ सकते हैं, वहीं सोशल नेटवर्किंग
साइटों पर उनका सबसे अधिक सक्रिय रहना, उनके ऊपर अत्यधिक प्रभाव
डाल रहा है।
युवाओं पर सोशल नेटवर्क का
प्रभाव
सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़े रहना
सबको पसंद है। कुछ लोगो का मानना है कि यदि आप डिजिटल रुप में उपस्थित नहीं है, तो आपका कोई अस्तित्व नहीं हैं। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उपस्थित
का बढ़ता दबाव और प्रभावशाली प्रोफ़ाइल, युवाओं को बड़े पैमाने पर
प्रभावित कर रही है। आंकड़ों के मुताबिक एक सामान्य किशोर प्रति सप्ताह औसत रुप से
72 घंटे सोशल मीडिया का उपयोग किया जाता है, ये चीजे अन्य कार्यो के लिए बहुत कम समय छोड़ते है जिनके कारण उनके
अदंर गंभीर समस्याएं पैदा होने लगती है जैसे अध्ययन,
शारीरिक
और अन्य फायदेमंद गतिविधियों में कमी, न्यूनतम ध्यान, चिंता और अन्य जटिल मुद्दों को उजागर करती है। अब हमारे पास
वास्तविक मित्र की तुलना में अप्रत्यक्ष मित्र सबसे अधिक होते जा रहे हैं और हम
दिन प्रतिदिन एक-दूसरे से संबंध खोते जा रहे हैं। इसके साथ ही अजनबियों, यौन अपराधियों को अपनी निजी जानकारीयो को दे बैठना आदि भी कई खतरे
है।
सोशल मीडिया के सकारात्मक
प्रभाव-
1. यह शिक्षा के लिए एक अच्छा
उपकरण है।
2. यह कई सामाजिक मुद्दों के
लिए जागरूकता पैदा कर सकता है।
3. ऑनलाइन जानकारी तेज़ी से
हस्तांतरित होती है, जिसकी मदद से उपयोगकर्ताओं
को सूचना तत्काल ही प्राप्त हो जाती हैं।
4. इसे एक समाचार माध्यम के
रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
5. इसके कुछ सामाजिक लाभ भी
हैं जैसे लंबी दूरी के दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ संचार कर पाना।
6. यह ऑनलाइन रोजगार के अवसर
प्रदान करते हैं।
सोशल नेटवर्क के सकारात्मक
प्रभाव हैं लेकिन बाकि सभी चीजों की तरह इसकी भी कुछ बुराईयाँ है। इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं:
सोशल मीडिया के नकारात्मक
प्रभाव-
1. परीक्षा में नकल करने में
मदद करता है।
2. छात्रों के शैक्षिक श्रेणी
और प्रदर्शन को खराब करता है।
3. निजता का अभाव।
4. उपयोगकर्ता हैकिंग, आइडेंटिटी को चोरी, फ़िशिंग अपराध इत्यादि
जैसे साइबर अपराधों के का शिकार हो सकता हैं।
निष्कर्ष:
सकारात्मक और नकारात्मक
दोनों पहलुओं में कोई संदेह नहीं है लेकिन उपयोगकर्ताओं को सोशल नेटवर्किंग के
उपयोग पर अपने विवेकाधिकार का उपयोग करना चाहिए। एक छात्र के रूप में संपूर्ण जीवन
जीने के लिए अध्ययन, खेल और सोशल मीडिया जैसे
कार्यों में संतुलन बनाये रखना चाहिए।
प्र. सोशल मीडिया :चुनौतियाँ और संभावनाएं
सोशल
मीडिया का विस्तार:-
फेसबुक, ट्विटर जैसे अन्य सोशल मीडिया (Social Media- SM) प्लेटफार्मों की अभूतपूर्व वृद्धि लोकतंत्रों के कामकाज में एक
दोधारी तलवार साबित हो रही है। एक ओर इसने सूचना तक पहुँच का लोकतांत्रिकरण किया
है, वहीं दूसरी ओर इसने नई चुनौतियाँ भी पेश की है जो अब सीधे हमारे
लोकतंत्र और लोगों पर प्रभाव डाल रही हैं।
चुनौतियाँ :-
§ द्वेषपूर्ण भाषण और अफवाहें
o पिछले कुछ समय से कई मामलों में हिंसा और जान-माल की क्षति के लिये
नफरत फैलाने वाले भाषण और अफवाहें ज़िम्मेदार रहे हैं।
o हाल ही का एक मामला है जब महाराष्ट्र के पालघर के गडचिंचल गाँव में
दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी गई।
o व्हाट्सएप मैसेज द्वारा यह अफवाह फैलाई गई कि क्षेत्र में तीन चोर
चोरी कर रहे हैं, इस अफवाह के चलते गाँव के
एक समूह ने तीनों यात्रियों को चोर समझकर उनकी हत्या कर दी थी। हस्तक्षेप करने
वाले कई पुलिस कर्मियों पर भी गाँव वालों ने हमला कर दिया जिससे वे घायल हो गए।
o 2020 के दिल्ली दंगों में सोशल मीडिया पर हुए द्वेषपूर्ण भाषण की बड़ी
भूमिका थी।
§ फेक न्यूज़
o वर्ष 2019 माइक्रोसॉफ्ट द्वारा 22 देशों में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, 64% से अधिक भारतीय फर्जी खबरों का सामना करते हैं।
o सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और व्हाट्सएप जैसी मैसेजिंग सेवाओं के
माध्यम से प्रसारित एडिटेड इमेज, हेरा-फेरी वाले वीडियो और
झूठे संदेशों की एक चौंका देने वाली संख्या मौजूद है जिससे गलत सूचनाओं और
विश्वसनीय तथ्यों के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
ऑनलाइन
ट्रोलिंग
§ ट्रोलिंग सोशल मीडिया का नया उप-उत्पाद है।
§ कई बार लोग कानून अपने हाथ में ले लेते हैं, लोगों को ट्रोल करना और धमकाना शुरू कर देते हैं जो उनके विचारों
या आख्यानों से सहमत नहीं होते हैं।
§ इसने किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर हमला करने वाले गुमनाम ट्रोल को
भी बढ़ावा दिया है।
महिला
सुरक्षा
§ महिलाओं को साइबर रेप और अन्य खतरों का सामना करना पड़ता है जो
उनकी गरिमा को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
§ कभी-कभी उनकी तस्वीरें और वीडियो को साइबर पर लीक कर देने की धमकी
दी जाती है।
§ कभी-कभी उनकी तस्वीरें और वीडियो लीक हो जाते हैं जिसके कारण
उन्हें साइबर अपराध के लिये मजबूर किया जाता है।
संभावनाएं
:-
§ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
o कई सोशल मीडिया केंद्रों ने कुछ विशेष प्रकार की सामग्री को बढ़ावा
देने या फिल्टर करने के लिये स्वचालित और मानव संचालित एडिटेड प्रक्रियाओं का
मिश्रण तैयार किया है।
o ये AI इकाइयाँ स्वचालित रूप से
किसी छवि या समाचार को साझा करने पर हर बार गलत रिपोर्टिंग के खतरे को भांप लेंगी।
o इस अभ्यास को और अधिक दृढ़ता के साथ कार्यान्वित किया जाना चाहिये।
§ फर्जी सूचना के प्रति अवगत होना
o यह एक ऐसा तरीका है जहाँ फर्जी जानकारी के साथ कंटेंट की वास्तविक
सुचना भी पोस्ट की जाती है ताकि उपयोगकर्त्ताओं को वास्तविक जानकारी और सच्चाई से
अवगत कराया जा सके।
o YouTube द्वारा लागू किया गया यह तरीका उपयोगकर्त्ताओं को नकली या घृणित
सामग्री में किये गए भ्रामक दावों को खत्म कर देगा तथा सत्यापित और सुव्यवस्थित
जानकारी वाले लिंक पर क्लिक करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
§ विनियमन लाना
o सोशल मीडिया के लगातार बढ़ते दायरे का सामना करने के लिये एक
संपूर्ण राष्ट्रीय कानून होना चाहिये।
o इस संबंध में ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिये और कानूनी प्रावधान होने
चाहिये।
§ जन जागरूकता
o वर्तमान में देश को डिजिटल साक्षर बनाए जाने की ज़रूरत है।
o एक ज़िम्मेदार सोशल मीडिया का उपयोग कैसे किया जाए, इस विषय में देश के प्रत्येक स्कूल और कॉलेज एवं विशेषकर ग्रामीण
क्षेत्रों में इसका परिक्षण किया जाना चाहिये, जहाँ लोग उन्हें बेवकूफ बनाकर अपना काम आसानी से निकाल लेते हैं।
कानूनी
उपाय
§ भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) ने चुनाव के समय में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों और गलत
सूचना के प्रसार पर अंकुश लगाने के कईं उपायों की घोषणा की थी।
§ इसने राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया कंटेंट को आदर्श आचार संहिता के
दायरे में लाया गया और उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया खातों तथा उनके संबंधित
सोशल मीडिया अभियानों पर सभी खर्चों का खुलासा करने के लिये कहा था।
§ इसी प्रकार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry of
Information & Broadcasting) की
मीडिया विंग विभिन्न सरकारी मीडिया प्लेटफॉर्मों की गतिविधियों पर नज़र रखने में
सरकार के विभिन्न संगठनों की सहायता करती रही है।
§ इस तरह की गतिविधियों को सभी पैमानों और संस्थानों में प्रोत्साहित
किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
§ जैसा कि भारत एक निगरानी राज्य नहीं है, इसलिये निजता, बोलने और अभिव्यक्ति के
स्वतंत्रता के अधिकार पर कोई गैर-कानूनी या असंवैधानिक जाँच नहीं होनी चाहिये जो
प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार हैं। इसमें एक संतुलन होना चाहिये क्योंकि
संविधान ने भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार पर कई सीमाएँ लगाई है।
§ बड़ी प्रौद्योगिकी फर्में, जिनके पास सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं, कंटेंट के संदर्भ में मध्यस्थता कर सकती हैं और इस प्रकार लोकतंत्र
को प्रभावित कर सकती हैं।
§ उन्हें और सभी को अपने कार्यों के लिये उत्तरदायी ठहराया जाना
चाहिये, जिसके व्यापक सामाजिक
प्रभाव होते हैं।
प्र . सोशल मीडिया का जीवन मूल्यों पर प्रभाव
इंस्टाग्राम और इसकी पैरेंट कंपनी फेसबुक को तब सार्वजनिक रोष का सामना करना पड़ा, जब कुछ रिपोर्टों में बताया गया कि उनके उपयोग का युवाओं पर
नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। फेसबुक के
‘व्हिसल ब्लोअर’ फ्रांसेस हौगेन (Frances Haugen) ने भी यह खुलासा किया कि बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा युवाओं के
मानसिक स्वास्थ्य की तुलना में लाभ को उच्च प्राथमिकता दी जाती है। इसने युवाओं पर ऐसे सोशल मीडिया ऐप्स और
वेबसाइटों के प्रभाव को उजागर किया है।
सोशल
मीडिया के सकारात्मक प्रभाव
§ संपर्क और संबंध:
फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंच किशोरों और युवा वयस्कों को अपनेपन और स्वीकृति की एक भावना प्रदान करते हैं। यह बात LGBTQ जैसे
समूहों के लिये विशेष रूप से सत्य है, जो अलग-थलग या हाशिये पर मौजूद हैं।
o कोरोना महामारी के दौरान इसका चौतरफा प्रभाव स्पष्ट तौर पर नज़र आया जब इसने ‘आइसोलेशन’ में रह रहे लोगों और
प्रियजनों को आपस में जोड़े रखा।
§ सकारात्मक प्रेरणा:
सोशल नेटवर्क ’सहकर्मी
प्रेरणा’ (Peer Motivation) का सृजन
कर सकते हैं और युवाओं को नई एवं स्वस्थ आदतें विकसित करने के लिये प्रेरित कर सकते हैं। किशोर ऑनलाइन माध्यम से अपने लिये सकारात्मक रोल मॉडल भी ढूँढ सकते हैं।
§ पहचान का निर्माण:
किशोरावस्था
ऐसा समय होता है जब युवा अपनी पहचान को संपुष्ट करने और समाज में अपना स्थान पाने
का प्रयास कर रहे होते हैं। सोशल
मीडिया किशोरों को अपनी विशिष्ट पहचान विकास हेतु एक मंच प्रदान करता है।
o एक अध्ययन से पता चला है कि जो युवा सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त करते हैं, वे ‘बेहतर प्रगति’ (Well-Being) का अनुभव करते हैं।
§ अनुसंधान:
मानसिक
स्वास्थ्य विशेषज्ञ और शोधकर्त्ता
सोशल मीडिया का उपयोग प्रायः डेटा एकत्र करने के लिये करते हैं, जो उनके अनुसंधान में
योगदान करता है। इसके अलावा, थेरेपिस्ट एवं अन्य पेशेवर लोग ऑनलाइन समुदायों के अंदर परस्पर नेटवर्क स्थापित कर सकते हैं, जिससे उनके ज्ञान और पहुँच का विस्तार हो सकता है।
§ अभिव्यक्ति प्रदान करना:
सोशल मीडिया ने किशोरों को एक-दूसरे के पक्ष में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का अवसर दिया
है। सशक्त भावों, विचारों या ऊर्जा की अभिव्यक्ति और सदुपयोग से यह बेहद सकारात्मक
प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।
§ गेटवे टू टैलेंट:
सोशल मीडिया आउटलेट छात्रोंको अपनी रचनात्मकता और
विचारों को तटस्थ दर्शकों के साथ साझा करने और एक ईमानदार प्रतिक्रिया
प्राप्त करने के लिये एक मंच प्रदान करते हैं। प्राप्त
प्रतिक्रिया उनके लिये अपने कौशल को बेहतर ढंग से आकार देने की मार्गदर्शक बन सकती
हैं, यदि वे उस कौशल को पेशेवर
रूप से आगे बढ़ाना चाहते हैं।
o उदाहरण के लिये, कोई फोटोग्राफर या
वीडियोग्राफर अपने शॉट्स को इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर शुरुआत करता है। कई युवा पहले से ही इसमें अपना कॅरियर बना रहे हैं।
§ रचनात्मकता को बढ़ावा:
सोशल मीडिया
युवाओं को उनके आत्मविश्वास और
रचनात्मकता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह युवाओं को विचारों की और संभावनाओं की दुनिया से जोड़ता है। ये मंच छात्रों को अपने मित्रों और अपने सामान्य दर्शकों के साथ
जुड़ने के मामले में अपने रचनात्मक कौशल का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करते
हैं।
§ डिजिटल सक्रियता और सामाजिक परिवर्तन:
सोशल
मीडिया समुदाय के अंदर प्रभाव
उत्पन्न करने का एक माध्यम बन सकता है। यह उन्हें न केवल अपने समुदाय के अंदर बल्कि पूरे विश्व में आवश्यक
विषयों से अवगत कराता है। ’ग्रेटा थनबर्ग’ युवा सक्रियता की ऐसी ही एक उदाहरण है।
सोशल
मीडिया का नकारात्मक प्रभाव
§ मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ:
कई
अध्ययनों में सोशल मीडिया के उपयोग और
अवसाद के बीच घनिष्ठ संबंध पाया गया है। एक अध्ययन के अनुसार, मध्यम से गंभीर अवसाद लक्षण वाले युवाओं में सोशल मीडिया का उपयोग करने की संभावना लगभग दोगुनी थी।
सोशल मीडिया पर किशोर अपना अधिकांश समय अपने साथियों के जीवन और तस्वीरों को देखने
में बिताते हैं। यह एक निरंतर तुलनात्मकता
की ओर ले जाता है, जो आत्म-सम्मान और ‘बॉडी इमेज’ को नुकसान पहुँचा सकता है
और किशोरों में अवसाद एवं चिंता की वृद्धि कर सकता है।
§ शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ:
सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप स्वास्थ्यप्रद, वास्तविक दुनिया की गतिविधियों पर कम समय व्यय किया जाता है। सोशल मीडिया फीड्स को स्क्रॉल करते रहने की आदत—जिसे वैम्पिंग’amping) कहा
जाता है, के कारण नींद की कमी की
समस्या उत्पन्न होती है।
§ सामाजिक संबंध: किशोरावस्था सामाजिक कौशल विकसित करने का एक महत्त्वपूर्ण समय होता
है। लेकिन, चूँकि किशोर अपने दोस्तों के साथ आमने-सामने कम समय बिताते हैं, इसलिये उनके पास इस कौशल के अभ्यास के कम अवसर होते हैं।
§ ‘टेक एडिक्शन’: वैज्ञानिकों ने पाया है कि किशोरों द्वारा सोशल मीडिया का अति
प्रयोग उसी प्रकार के उत्तेजना
पैटर्न का सृजन करता है जैसा अन्य एडिक्शन व्यवहारों से उत्पन्न होता है।
§ पूर्वाग्रहों की पुन:पुष्टि: सोशल मीडिया दूसरों
के बारे में उनके पूर्वाग्रहों और रूढ़ियों
की पुन:पुष्टि का अवसर प्रदान करता है। समान विचारधारा वाले लोगों से ऑनलाइन मिलने से इन प्रवृत्तियों की
वृद्धि होती है क्योंकि उनमें समुदाय की भावना का विकास होता है। उदाहरण: फ्लैट
अर्थ सोसाइटी।
§ साइबरबुलिइंग या ट्रोलिंग: इसने गंभीर समस्याएँ पैदा की हैं और यहाँ तक कि किशोरों के बीच
आत्महत्या के मामलों को भी जन्म दिया है। इसके अलावा, साइबरबुलिइंग जैसे कृत्य
में संलग्न किशोर मादक पदार्थों के सेवन, आक्रामकता और आपराधिक कृत्य में संलग्न होने के प्रति भी संवेदनशील
होते हैं।
o ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न और शोषण: संयुक्त राज्य अमेरिका में किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल सभी अमेरिकी
बच्चों में से लगभग आधे ने संकेत दिया कि उन्हें ऑनलाइन रहते हुए असहज महसूस कराया गया, उन्हें धमकाया गया या उनसे यौन प्रकृति का संवाद किया गया। एक अन्य अध्ययन में, यह पाया गया कि ऑनलाइन
यौन शोषण के शिकार लोगों में से 50 प्रतिशत से अधिक 12 से 15 वर्ष की आयु के बीच के थे।
आगे की
राह
§ एक समर्पित सोशल मीडिया नीति: युवाओं को उपभोक्ताओं या भविष्य के
उपभोक्ताओं के रूप में लक्षित नहीं करने
के लिये उत्तरदायित्त्व का सृजन कर सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिये एक समग्र नीति अपनाई जानी चाहिये। यह एल्गोरिदम को युवाओं के बजाय वयस्कों के प्रति अधिक अनुकूल
बनाएगा।
§ अनुपयुक्त सामग्री के लिये सुरक्षा उपाय: सोशल मीडिया मंचों को कुछ ऐसी सामग्री की अनुशंसा करने या उसका प्रसार करने से
प्रतिबंधित किया जाना चाहिये जिसमें यौन, हिंसक या अन्य वयस्क
सामग्री (जुआ या अन्य खतरनाक, अपमानजनक, शोषणकारी, या पूरी तरह से व्यावसायिक
सामग्री सहित) शामिल हैं।
o नैतिक रूपरेखा के मानक: ये मानक तकनीकी कंपनियों के लिये ‘डिजिटल डिस्ट्रैकशन’ (Digital Distraction) को रोकने, टालने एवं हतोत्साहित करने
तथा नैतिक ह्यूमन लर्निंग को प्राथमिकता देने के सिद्धांत निर्धारित करेंगे।
§ डिजिटल साक्षरता: यह महत्त्वपूर्ण है कि भारत में विद्यमान ’डिजिटल डिवाइड’ को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाए, विशेष रूप से शिक्षा
के क्षेत्र में। युवाओं की सुरक्षा के नाम
पर नीतिगत निर्णय का परिणाम यह नहीं होना चाहिये कि वंचित पृष्ठभूमि के युवा
भविष्य के अवसरों से हाथ धो बैठें।
§ शासन और विनियमन: कंटेंट, डेटा स्थानीयकरण, थर्ड पार्टी डिजिटल ऑडिट, सशक्त डेटा संरक्षण कानून आदि के लिये इन मंचों के अधिक
उत्तरदायित्व हेतु सरकारी विनियमन भी आवश्यक है।
§ सोशल मीडिया मंचों की भूमिका: ’ऑटो-प्ले’ सेशन, पुश अलर्ट जैसे कुछ फीचर्स पर
प्रतिबंध लगाना और इससे भी अधिक
महत्त्वपूर्ण ऐसे उत्पादों का सृजन करना जो युवाओं को लक्षित न करें।
§ सामाजिक एजेंसियों की भूमिका: सोशल मीडिया उपयोग को नियंत्रित करने, सदुपयोगी बनाने और सीमित करने के लिये माता-पिता, शैक्षणिक संस्थानों और समाज को समग्र रूप से
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। पैरेंटल कंट्रोल फीचर के उपयोग, स्क्रीन टाइम को सीमित करने, बच्चों के साथ लगातार संवाद करने और बाह्य गतिविधियों को बढ़ावा
देकर इस लक्ष्य की पूर्ति की जा सकती है।
निष्कर्ष
युवाओं
पर डिजिटल तकनीक के प्रभाव का मूल्यांकन महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ये प्रभाव उनके वयस्क व्यवहार और भविष्य के समाजों के व्यवहार को आकार प्रदान करेंगे। यह जानना दिलचस्प होगा कि बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स जैसे तकनीकी क्षेत्र के दिग्गजों ने अपने बच्चों की प्रौद्योगिकी तक पहुँच को गंभीरता से नियंत्रित रखा
था।
सभी
प्रौद्योगिकियों के स्पष्ट लाभ और संभावित हानिकारक प्रभाव होते हैं। जैसा कि जीवन के अधिकांश विषयों पर लागू होता है, सोशल मीडिया के उपयोग में भी अति से बचने और उसका संतुलित उपयोग करने
में ही समस्या का समाधान निहित हो सकता है।
प्र.भारत में सोशल मीडिया का प्रभाव
तकनीकी सक्रियता के बाद, अब ‘सोशल मीडिया सक्रियता’ आज की पीढ़ी के लिए एक पर्याय बन गई है। आज लगभग तीन में से दो
भारतीय अलग-अलग सोशल नेटवर्किंग साइटों जैसे कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, पिन्ट्रेस्ट आदि पर ऑनलाइन रहकर अपना समय बिताते हैं। यहाँ तक कि
अब सोशल मीडिया की तुलना व्यक्तिगत ईमेल भेजने की प्रवृत्ति समाज में बहुत पुरानी
हो गई है। लेकिन भारत में सोशल मीडिया इतना लोकप्रिय क्यों हो रहा है? इंटरेक्शन, लाइव चैट, स्टेटस अपडेट्स, इमेज-
तथा वीडियो-शेयरिंग जैसे कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं जो सोशल मीडिया की लोकप्रियता को
बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दूसरी ओर ग्राहकों की प्रतिक्रियाएं, उनके संपर्क और ब्रांड के प्रति जागरुकता, एक ऐसी वजह बन गई है जिससे कई कंपनियां भारत और दुनिया भर में सोशल
मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रही हैं। इस प्रकार सोशल मीडिया द्वारा निभाई जा रही
विभिन्न भूमिकाएं, दुनिया भर में अपनी
लोकप्रियता के लिए विख्यात हैं जो केवल सूचना संचार की मुख्य भूमिका तक सीमित नही
हैं।
दिसंबर 2012 तक भारत के नगरों में सोशल
मीडिया का प्रयोग करने वालों की (यूजर्स) कुल संख्या लगभग 6.2 करोड़ तक पहुँच गई थी। स्मार्टफोन और मोबाइल इंटरनेट की आकस्मिक
उपलब्धता से सोशल मीडिया के उपयोग में तेजी आई है। भारत में सभी व्यावसायिक कारोबारी, अपने उपभोक्ताओं की ब्रांड जागरूकता और अंतःक्रिया के आधार को समझने के लिए सोशल
मीडिया पर भरोसा करते हैं। भारतीय इंटरनेट यूजर वास्तविक समूह बनानेे और पारस्परिक
प्रभाव डालने तथा बातचीत करने के लिए सोशल मीड़िया का उपयोग करते हैं। इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं है कि असाधारण रूप से और तेजी से आगे बढ़ता
हुआ सोशल मीडिया जो सूचना और प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित कुछ उत्पादों और ब्रांडों
के प्रति ग्राहकों की मानसिक गतिविधियों को उचित रुप से गठित करने में, अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही, यह ज्यादातर भारतीयों
द्वारा खाली समय में ऑनलाइन मनोरंजन के लिए उपयोग किया जाता है। लगभग 100 मिलियन भारतीय, जो कि
जर्मनी की आबादी से कहीं अधिक हैं, हर दिन सोशल मीडिया से सम्बन्धित कार्यो में व्यस्त रहते
हैं।
सोशल मीडिया – संक्षिप्त परिचय-
सन 2004 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी
के एक छात्र मार्क जुकरबर्ग ने अपने साथी छात्रों के साथ जुड़ने के लिए फेसबुक का
निर्माण किया। लेकिन वर्तमान समय में, सभी सोशल मीडिया एप्लिकेशन्स में फेसबुक सबसे अधिक भरोसेमंद बन गया
है। वर्तमान समय में, भारत में लगभग 51 लाख फेसबुक उपयोगकर्ता हैं। ट्विटर, एक माइक्रो ब्लॉगिंग साइट है जहाँ आप अपने आप को 140 अक्षरों या उससे कम में व्यक्त कर सकते हैं, यह सोशल मीडिया का एक बहुत ही लोकप्रिय प्लेटफॉर्म (मंच) है। 2005 में, स्टीव चेन और चाड हर्ली
द्वारा यूट्यूब का निर्माण किया गया था जो वीडियो साझा करने की व्यवस्था प्रदान
करता है। सभी पेशेवरों के लिए, लिंक्डइन
सबसे अच्छा सोशल मीडिया का मंच (प्लेटफॉर्म) है। अभी हाल ही में गूगल ने, गूगल+ लॉन्च किया है जो लगभग फेसबुक की तरह ही है।
सोशल मीडिया की भूमिका
भारतीय राजनीति में सोशल मीडिया-
सोशल मीडिया न केवल आप और मुझ तक ही सीमित है बल्कि इसके दायरे में
राजनेताओं को भी शामिल किया गया है। भारत में राजनीति और राजनेताओं की विभिन्न
गतिविधियों को सोशल मीडिया के माध्यम से सुर्खियों में लाया गया है। इसलिये यह
उम्मीद की जाती है कि सोशल मीडिया, आने वाले समय के आम चुनावों को काफी हद तक प्रभावित करने में, एक बेहतर भूमिका निभाएगा। इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया
(आईएएमएआई) द्वारा समर्थित आईआरआईएस नॉलेज फाउंडेशन के अध्ययन ने इस तथ्य के संकेत
दिए हैं। ट्विटर और फेसबुक के साथ-साथ गूगल+ पर लाखों समर्थकों वाले राजनीतिक
नेताओं के लिए सोशल मीडिया अत्यंत महत्वपूर्ण (असली गेम चेंजर) होगा। सोशल मीडिया
पर अपनी एक निश्चित छवि बनाए रखने के लिए, अधिकांश नेताओं की अपनी कुछ वेबसाइटें भी होती हैं। जिसके कुछ
उदाहरण निम्न हैं:
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी हालिया व्याख्यानों में
सोशल मीडिया का अत्यधिक आकर्षण देखने को मिला है। उन्होंने गूगल+ हैंगआट्स पर भी
एक राजनीतिक सम्मेलन की मेजबानी की जिससे वह ओबामा और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री
जुलिया गिलार्ड के बाद ऐसा करने वाले विश्व में तीसरे राजनेता बन गये। अजय देवगन
ने भी अपने गूगल+ हैंगआउट की मेजबानी की जिसमें उनसे कोई भी आम आदमी सीधे प्रश्न
पूछने के लिए पूर्ण स्वतंत्र था। यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर सदैव ही उनकी एक जबरदस्त मौजूदगी रहती है।
शशि थरूर, ट्विटर पर सबसे अधिक
सक्रिय रहने वाले व्यक्ति हैं और उनके ट्वीट्स को मीडिया में मुख्यधारा के रूप में
उद्धृत किया गया है।
कुछ महीने पहले आपने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए. पी. जे.
अब्दुल कलाम की मांँग या रिक्वेस्ट, फेसबुक पर एक पेज के रुप में देखी होगी।
इसके बाद भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन करने वाले अन्ना
हजारे ने भी एक सोशल मीडिया अभियान चलाया है।
कई शोधकर्ताओं ने यह निर्देशित किया है कि टेलीविजन की तुलना में
सोशल मीडिया लोगों को प्रभावित करने में एक सबसे मजबूत और अधिक प्रेरणादायक माध्यम
होगा।
सोशल
मीडिया के समाज पर प्रभाव
सोशल मीडिया youth को काफी प्रभावित करता है। सोशल मीडिया का society पर काफी प्रभाव देखने को मिलता है। सोशल मीडिया सामाजिक मुद्दों पर
लोगों को जागरूक करता है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल आजकल समाज का ना सिर्फ ऊंचा
वर्ग करता है, बल्कि यह हर वर्ग तक पहुंच
चुका है। सोशल मीडिया ने समाज को digitally एक साथ जोड़ दिया है। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों की सोच में
भी काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है ।
समाज में अच्छे बदलाव
देखने को भी मिल रहे हैं। जहां सोशल मीडिया के माध्यम से लोग एक दूसरे के साथ अपनी
इंफॉर्मेशन शेयर कर पा रहे हैं। वहीं इसके साथ ही इंटरटेनमेंट वाले content से लोगों का मनोरंजन भी हो रहा है। सोशल मीडिया के कारण लोगों का
एक दूसरे की समस्याओं को देखने का नजरिया भी बदल रहा है। सोशल मीडिया के जरिए समाज
की बुराइयों को खत्म करने की मुहिम भी चलाई जाती है। अगर देश में कुछ गलत घटित हो
जाता है तो सोशल मीडिया पर उसके खिलाफ आवाज उठाने वाला एक या दो व्यक्ति नहीं
बल्कि लाखों-करोड़ों लोग एकजुट हो जाते हैं। ना सिर्फ एक देश के बल्कि पूरी दुनिया
से। social media ने पूरी
दुनिया को एक साथ जोड़ रखा है, जो कि
एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
सोशल मीडिया का सांस्कृतिक पर प्रभाव
हमारा देश प्रगति के मार्ग पर है ।
अब समय डिजिटल का हो गया है। आज हर काम इंटरनेट से जुड़ गया है । बहुत ही सुविधाजनक
है इंटरनेट के जरिए किसी काम को घर बैठे कर लेना ।
फिर हमारा सामाजिक
क्रिया-कलाप इसमें पीछे कैसे रह सकता है । सोशल मीडिया का आगमन हुआ, जो हमें देश-विदेश के लोगों से जोड़ दिया है । जैसे ट्वीटर, फेसबुक, वाट्सएप, यूट्यूब इत्यादि । हम इसके जरिए कई नए-नए लोगों से जुड़ रहे हैं और कई
बिछुड़े हुए मित्र या खास व्यक्ति से भी जुड़ते जा रहे हैं । इसके माध्यम से कई
अच्छे लोग और प्रतिष्ठित प्रभावशाली व्यक्तियों से हम जुड़ते जा रहे हैं । इसके
माध्यम से हमें नई-नई जानकारी मिलती है । कोई संदेश देना हो तो सोशल मीडिया तीव्र
गति से लाखों लोगों तक पहुंचा देती है । बच्चे क्या बड़े-बुजुर्ग भी इसमें रुचि
लेने लगे हैं ।
आजकल जहाँ सोशल मीडिया बहुत ही सार्थक लगने लगा है तो वहीं इसके दुष्परिणाम भी बहुत सामने आ रहे हैं ।
चूंकि सोशल मीडिया हमें देश-विदेश से जोड़ रहा है । इसलिए हमारी संस्कृति पर
विदेशी प्रभाव पड़ता जा रहा है ।
खास कर बच्चे और युवा वर्ग
विदेशी संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं । जिससे उनके विचार, व्यवहार, पहनावे-ओढ़ावे में तेजी से बदलाव
देखा जा रहा है । सोशल मीडिया पर मर्यादा विहीन शब्दों का प्रयोग ऐसे करने लगे हैं
। जैसे मर्यादा का कोई महत्व ही नहीं हो ।
दोष हम केवल बच्चों या युवा को नहीं दे
सकते हैं, क्योंकि कई बुजुर्ग महिला या
पुरुष भी सोशल मीडिया पर मर्यादा विहीन शब्दों का प्रयोग और अजीबोगरीब लिवास में
अपनी तस्वीर पोस्ट करने से नहीं चूकते । कई पुरुष सादगी भेष में
तस्वीर रखते और महिलाओं के इनबॉक्स में अभद्रता पूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करते हैं
।यदि सोशल मीडिया हमें देश-विदेश से जोड़ती है तो यही हमें आसपास से दूर भी कर रही है
। आजकल घर परिवार में भी सभी इकट्ठे बैठकर बातें कम
करते हैं । सोशल मीडिया पर अधिक व्यस्त रहते हैं । कहाँ जा रही है हमारी संस्कृति ? ये विचारणीय विषय है ।हम सब
को संतुलन बना कर चलना चाहिए ।बच्चों के लिए भी कुछ पाबंदी भी जरूरी है जिससे हम
प्रगति की ओर जरूर बढ़ें किन्तु सांस्कृतिक अस्मिता की गरिमा भी बनी रहे ।
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